आज फिर हार गया मैं!!!

आज फिर हार गया मैं,
आज फिर से दिल को चोट मेरे लगी,
आज छोड़ गयी वो मुझे,
जिसके संग बुन रहा था मैं सपने कई|

है ऐसा क्यों,
कि सोचता रह जाता हूँ मैं,
जीत लेता है और कोई,
क्यों है ऐसा कि पीछे रह जाता मैं,
भाग पीछे से आगे जाता है और कोई|

आज फिर हार गया मैं,
आज फिर से दिल को चोट मेरे लगी!!

डूबती यादें !!!

कशिस थी कभी, आज भी है,
खूशबू की बयार आज भी है,
अनजाने की गलती का दीदार आज भी है,
हर उस चहक का इंतज़ार आज भी है!

जब तक हमने महसूस किया सांसो में तुझे,
मदहोस था उस खुशबू को पा के
खामोस हूँ मैं खो के तुम्हे,
कहीं हुई गलती सोचता हूँ अफ़सोस करके!

तू दूर होती गयी, दर्द बढ़ता गया,
हर मल्हार पर नशे की चाहत आदत बन गयी,
पतझड़ में पत्तो की चरमराहट कम हो गयी,
ठंढ की आगोश आज घेर लेती मुझे,
बसंत का मज़ा तो ख़त्म ही हो गया!

दर्द को दिखाना आँखे भूल गया था कब का,
अब तो आंसुओं ने भी साथ छोड़ दिया,
अपनी पंक्तियों में डूबा ये आशिक
आज लिखते लिखते तेरी यादों फिर खो गया !!!

बना गए हमे यतीम!!!

One of my favourite teacher Mr B. K. Jaiswal unfortunately met a Car Crash and left this world leaving us in sorrow and grief.  May his Wife Neelam Madam and kids get enough strength to come over this hard time. This is my tribute for him.  May his soul rest in peace!

है रोता दिल मेरा आज,
बना गए यतीम वो ,
जिनकी छांव में सीखा हमने,
छोड़ गए हमे वो|
हमने तो चढ़ी थी सीढियाँ,
पग उठाया था हमने कभी,
साथ आपका कैसे भूलूं,
सिखाया आपने हर बार सही|

वो हँसता चेहरा,
वो होसले भरे शब्द,
गुनगुनाना संगीत जब मोका मिले तब,
कैसे भूलूं वो लम्हे वो छण|
कई दिल रोते हैं,
आज आपके गम में,
बुझ गया वो एक दिया,
जिसने बढाई रौशनी हममे|

हे खुदा तेरा हमने क्या बिगाड़ा,
क्या लिया है हमने तेरा,
छीन लेता है तू उन सबको,
जो बने सहारा मेरा,
तेरी हर एक कटाक्ष मेरे सिने
पर ही क्यों चलती है,
तेरी बदले की प्यास
क्यों नहीं बुझती है|

है रोता दिल मेरा आज,
बना गए यतीम वो ,
जिनकी छांव में सीखा हमने,
छोड़ गए हमे वो|

तेरी बोली – तेरा परिचय!!!

तेरे लफ्ज छेड़ सकती है खुशबू कहीं,
कही गम का पैमाना बहा सकती है,
दे ध्यान तू खोल जुबान उस वक़्त,
जब तेरी खामोशी दर्द बढ़ा सकती है,
या तेरी बोली खुशी फैला सकती है!!

हर शब्द, हर नगमे ढोती हैं भाव कई,
होता है कई रूप छिपा उनमे,
हँसा कई हो वो रहा,रुला किसी एक जाता है,
हसने वाला बस ले रहा होता है मज़ा,
रोने वाला चुपके से बद्दुआ दे जाता है|

आशीर्वाद तो देते हैं कई हमे,
कई चाहते हैं हमारा भला,
असर होता है उनका कभी कभी,
दे बद्दुआ गर कोई यारों, कसम से
अक्सर असर उसका हो जाता है||

तेरी बोली तेरा नाम बना सकती है,
छोड़ सकती है दमन में दाग भी,
किसी की मुस्कुराहटो का कारण बन सकती
तो तोड़ सकती है ग़मों का पहाड़ भी
खोल जुबान बस उसी वक़्त,
जब हो उससे किसी का भला|

मत खोल जुबान गर है तुझे पता,
चोट किसी को लग सकती है,
किसी की आहें आहात हो कर निकले तो,
असर तुझ पर भी हो सकती है|
तेरे लफ्ज छेड़ सकती है खुशबू कहीं,
कही गम का पैमाना बहा सकती है|