तेरे लफ्ज छेड़ सकती है खुशबू कहीं,
कही गम का पैमाना बहा सकती है,
दे ध्यान तू खोल जुबान उस वक़्त,
जब तेरी खामोशी दर्द बढ़ा सकती है,
या तेरी बोली खुशी फैला सकती है!!
हर शब्द, हर नगमे ढोती हैं भाव कई,
होता है कई रूप छिपा उनमे,
हँसा कई हो वो रहा,रुला किसी एक जाता है,
हसने वाला बस ले रहा होता है मज़ा,
रोने वाला चुपके से बद्दुआ दे जाता है|
आशीर्वाद तो देते हैं कई हमे,
कई चाहते हैं हमारा भला,
असर होता है उनका कभी कभी,
दे बद्दुआ गर कोई यारों, कसम से
अक्सर असर उसका हो जाता है||
तेरी बोली तेरा नाम बना सकती है,
छोड़ सकती है दमन में दाग भी,
किसी की मुस्कुराहटो का कारण बन सकती
तो तोड़ सकती है ग़मों का पहाड़ भी
खोल जुबान बस उसी वक़्त,
जब हो उससे किसी का भला|
मत खोल जुबान गर है तुझे पता,
चोट किसी को लग सकती है,
किसी की आहें आहात हो कर निकले तो,
असर तुझ पर भी हो सकती है|
तेरे लफ्ज छेड़ सकती है खुशबू कहीं,
कही गम का पैमाना बहा सकती है|