कसक है मेरे हर सिसक में!!!


कसक है मेरे हर सिसक में
हर लम्हे हैं भरे ख्यालों से,
ढक लेता हूँ हर बुझती लौ को,
मय बूंदों के साथ पी रहा हर दर्द को|

चाहत आज भी गयी नहीं,
मोहब्बत आज भी बाँकी है,
हर चेहरा दिखता है तेरे जैसा,
ख्यालों के शुरुआत पर|

टूटते हर ख्वाब में,
है एक चीज़ एक सी,
सब में है तू छिपी,
तेरी मूरत और तेरी सूरत हसीं|

कसक है मेरे हर सिसक में
हर लम्हे हैं भरे ख्यालों से,
ढक लेता हूँ हर बुझती लौ को,
मय बूंदों के साथ पी रहा हर दर्द को|

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